हिमांशु राणा भारतीय क्रिकेट का एक उभरता हुआ नाम है, जो अपनी प्रतिभा, समर्पण और मेहनत के बलबूते घरेलू क्रिकेट में एक खास पहचान बना चुके हैं। हरियाणा से आने वाले हिमांशु एक तकनीकी रूप से सशक्त बल्लेबाज हैं जिन्होंने किशोरावस्था से ही क्रिकेट की दुनिया में अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी थी।
हिमांशु राणा | |
---|---|
![]() |
|
पूरा नाम | हिमांशु राणा |
जन्म तिथि | 1 अक्टूबर 1998 |
जन्म स्थान | सोनीपत, हरियाणा, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
बैटिंग स्टाइल | दाएं हाथ के बल्लेबाज |
बॉलिंग स्टाइल | दाएं हाथ के ऑफ ब्रेक गेंदबाज |
भूमिका | टॉप ऑर्डर बल्लेबाज |
टीमें | हरियाणा, भारत U-19 |
घरेलू डेब्यू | 2014 – हरियाणा |
जर्सी नंबर | — |
उपलब्धियां | रणजी डेब्यू मैच में शतक (2014), U-19 इंडिया के लिए चयन |
प्रेरणा | सचिन तेंडुलकर |
इनकम (2025 अनुमानित) | ₹20-30 लाख (घरेलू क्रिकेट, ब्रांड्स) |
सोशल मीडिया | Instagram | Twitter |
हिमांशु राणा प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
हिमांशु राणा का जन्म 1 अक्टूबर 1998 को हरियाणा के सोनीपत जिले में हुआ था। उनका बचपन एक सामान्य भारतीय मध्यवर्गीय परिवार में बीता। उनके पिता, जो एक स्थानीय व्यवसायी थे, ने हिमांशु के क्रिकेट के प्रति जुनून को शुरुआत से ही पहचाना और हर कदम पर उनका साथ दिया। हिमांशु की प्रारंभिक शिक्षा सोनीपत के ‘लिटिल एंजल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल’ में हुई, जहाँ पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने क्रिकेट को भी अपना मुख्य लक्ष्य बना लिया।
बहुत कम उम्र में ही वह स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेने लगे और वहां पर अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा। उनकी मेहनत और प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें हरियाणा की अंडर-16 और बाद में अंडर-19 टीम में शामिल किया गया।
क्रिकेट करियर की शुरुआत
हिमांशु राणा ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण 2015 में किया जब वह मात्र 16 वर्ष के थे। रणजी ट्रॉफी के अपने पहले ही मैच में उन्होंने दिल्ली के खिलाफ 80 रनों की शानदार पारी खेली। इसके बाद उन्होंने राजस्थान के खिलाफ 149 रन बनाकर खुद को एक गंभीर बल्लेबाज के रूप में स्थापित किया। उनकी तकनीक, शांति और लंबी पारी खेलने की क्षमता ने चयनकर्ताओं को प्रभावित किया।
साल 2015 में ही उन्होंने महाराष्ट्र के खिलाफ 157 रन की पारी खेली जो उनके करियर की सबसे बड़ी पारी मानी जाती है। यह दिखाता है कि वह दबाव में भी अच्छे निर्णय ले सकते हैं और जिम्मेदारी से खेल सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान
हिमांशु राणा को भारतीय अंडर-19 टीम में जगह मिली और वह 2018 के अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम का हिस्सा बने। इस टूर्नामेंट में भारत की टीम चैंपियन बनी, और हिमांशु का योगदान टीम को मजबूत शुरुआत देने में अहम रहा। भले ही वह हर मैच में चमके न हों, लेकिन उनका आत्मविश्वास, फिटनेस और टीम स्पिरिट काबिले-तारीफ रहा।
लिस्ट-A और अन्य प्रारूप
2017 में हिमांशु ने हरियाणा के लिए विजय हजारे ट्रॉफी में लिस्ट-A क्रिकेट में भी पदार्पण किया। वहां भी उन्होंने निरंतरता के साथ प्रदर्शन किया और खुद को सीमित ओवरों के खेल में भी साबित किया। उनकी स्ट्रोक प्लेइंग क्षमता और रन बनाने की भूख ने उन्हें घरेलू क्रिकेट में एक भरोसेमंद खिलाड़ी बना दिया है।
2018-19 के रणजी ट्रॉफी सीजन में उन्होंने 9 मैचों में 594 रन बनाए और हरियाणा के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। इससे यह साफ हो गया कि वह लंबी पारी खेलने के साथ-साथ एक सीजन में लगातार रन बनाने की काबिलियत भी रखते हैं।
खेल शैली और विशेषताएँ
हिमांशु राणा एक दाएं हाथ के टॉप-ऑर्डर बल्लेबाज हैं। वह क्लासिकल स्ट्रोक्स खेलने में माहिर हैं, लेकिन समय के साथ-साथ उन्होंने आक्रामकता भी अपने खेल में शामिल की है। उनकी सबसे पसंदीदा शॉट ‘स्ट्रेट ड्राइव’ मानी जाती है, जिसे वह बड़े आत्मविश्वास से खेलते हैं।
वह कभी-कभार दाएं हाथ से मीडियम पेस गेंदबाजी भी करते हैं, लेकिन उनका मुख्य ध्यान बल्लेबाजी पर ही रहता है। फिटनेस को लेकर वह काफी सजग हैं और नियमित ट्रेनिंग एवं डाइट प्लान का पालन करते हैं।
व्यक्तिगत जीवन और रुचियाँ
हिमांशु राणा का जीवन क्रिकेट के इर्द-गिर्द ही घूमता है। वह अपने खाली समय में फिटनेस ट्रेनिंग, संगीत सुनना और तकनीकी विषयों पर पढ़ना पसंद करते हैं। क्रिकेट के साथ-साथ उन्हें तकनीकी विषयों में भी रुचि है, खासकर सॉफ्टवेयर और वेब डेवलपमेंट में।
उनका मानना है कि हर खिलाड़ी को खेल के साथ-साथ दूसरी स्किल्स भी सीखनी चाहिए ताकि खेल के बाद भी जीवन में कुछ सार्थक कर सकें।
आदर्श और प्रेरणा
हिमांशु राणा भारतीय टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ को अपना आदर्श मानते हैं। वह उनके संयम, खेल के प्रति समर्पण और तकनीकी बल्लेबाजी से काफी प्रभावित हैं। साथ ही, विराट कोहली की फिटनेस और आक्रामकता से भी वह प्रेरणा लेते हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
हिमांशु राणा अभी भी युवा हैं और उनके पास अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जगह बनाने के लिए भरपूर समय और प्रतिभा है। अगर वह इसी तरह अनुशासन और मेहनत के साथ खेलते रहें, तो वह निकट भविष्य में भारतीय सीनियर टीम में शामिल हो सकते हैं।
उनकी निरंतरता, मानसिक दृढ़ता और सीखने की ललक उन्हें एक सफल खिलाड़ी बनाने की ओर अग्रसर कर रही है।
निष्कर्ष
हिमांशु राणा एक होनहार, समर्पित और मेहनती क्रिकेटर हैं जिन्होंने बहुत कम उम्र में अपने हुनर से क्रिकेट जगत में अपनी पहचान बनाई है। घरेलू क्रिकेट में उनका योगदान सराहनीय रहा है, और अब वह उस मुकाम की ओर बढ़ रहे हैं जहां से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका नाम चमक सकता है।
अगर आप क्रिकेट के युवा सितारों में रुचि रखते हैं, तो हिमांशु राणा निश्चित रूप से एक ऐसा नाम है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।